ट्रेडिंग कैसे सीखे ( trading kaise sikhe )
वर्तमान समय में ट्रेडिंग के प्रति भारत में काफी रूची देखी गई है पर इसको सीखने का सही तरीका लोगो को पता नहीं होता है , आज आपको ट्रेडिंग किस प्रकार से सीखनी चाइए इसकी शुरुआत कैसे करें इसके बारे में विस्तार से बताया जायेगा और हमे विश्वास है आपको कही और जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी , तो बने रहे जुड़े रहे ।
नए ट्रेडर्स को अपने ट्रेडिंग करियर की शुरुआत करने से पहले यह जान लेना चाहिए कि ट्रेडिंग होती क्या है और यह कितने प्रकार की होती है, हम यह जानते हैं कि ट्रेडिंग होती क्या और उसके क्या प्रकार है इसके बाद हम यह सीखेंगे की एक नए ट्रेडर को ट्रेडिंग करियर की शुरुआत किस प्रकार से करनी चाहिए ।
ट्रेडिंग किसे कहते है / trading kya hai ?
ट्रेडिंग को एक सीधी भाषा में हम समझने का प्रयास करें तो ट्रेडिंग किसी भी शेयर (share) को कम समय में खरीद (buy) कर बेचने (sell) को हम ट्रेडिंग कहते हैं । ट्रेडिंग में किसी भी शेयर को कम प्राइस में खरीद कर अधिक प्राइस में बेचने का प्रयास करते हैं जिससे कि हमें मुनाफा कम समय में हो। इसमें जितना लाभ होता है उतने ही लॉस (lose) या हानि कि संभावना भी होती है क्योंकि हम यहां कम समय में ज्यादा लाभ करने की कोशिश करते हैं इसलिए हानी की संभावना भी ज्यादा होती है इन्वेस्टमेंट की तुलना में ।
उदाहरण :- कोई शेयर है जिसकी प्राइस 200 को चल रही है , आप इसको 200 से खरीद कर रख लेते है , आप इसमें स्टॉपलॉस 190 और टारगेट 215 लगा देते है और कुछ समय में ही इसका प्राइस 215 हो जाता है , और आपका टारगेट done हो जाता है और आप मार्केट से exit कर लेते हो , तो यह आपने कम समय में ही एक शेयर पर 15rs निकाल लेते हो , इस प्रकार की strategy , को आप ट्रेडिंग कहेंगे ।
नए जो ट्रेडर्स होते हैं वह मार्केट में आते हैं और शुरुआती दिनों में ही काफी ज्यादा लॉस उठा लेते हैं क्योंकि उन्हें ट्रेडिंग के बारे सही जानकारी नहीं होती किसी भी नए ट्रेडर को ट्रेडिंग करने से पहले ट्रेडिंग करने के नियम , तरीके और ट्रेडिंग किस प्रकार की जाती है इन बातो का ज्ञान नहीं होता तो वह अपने पैसों को गवा देता है । आज इस लेख से हम अगर नए ट्रेडर है तो किस प्रकार से हमे ट्रेडिंग करनी चाइए , किन बातों का ध्यान रखना चाइए और किस प्रकार ट्रेडिंग सीखनी चाइए आदि बातो को हम बताएंगे जिससे नए ट्रेडर को ट्रेडिंग करने के तरीके आयेगे और भविष्य में वह एक अच्छे ट्रेडर बन कर निखरेगे ।
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ट्रेडिंग के प्रकार ? / types of trading
ट्रेडिंग निम्न प्रकार की होती है :-
- Intraday trading
- Swing trading
- scalping
- position trading
- Algorithmic trading
- Option trading
- Futures trading
- Forex trading
- Margin trading
- Delivery trading
- Arbitrage Trading
- Momentum trading
- Fundamental trading
इंट्राडे ट्रेडिंग ( Intraday trading )
इंट्राडे ट्रेडिंग में हम किसी भी स्टॉक को एक दिन में खरीद कर उसी दिन के अंदर ही बेचना होता है ।
इंट्राडे ट्रेडिंग सही मानी जाती है क्योंकि अगर हम स्टॉक को खरीद कर रखते हैं थोड़ा-सी भी अगर उस स्टॉक के बारे में कुछ निगेटिव न्यूज़ आती है तो हमें अगले दिन भाई नुकसान झेलना पड़ सकता है इसलिए इंट्राडे ट्रेडिंग करना सही होता है ।
स्विंग ट्रेडिंग ( swing trading )
स्विंग ट्रेडिंग में हम मार्केट में किसी पर्टिकुलर स्टॉक को कुछ दिनों के लिए होल्ड करके रखते है जिससे उस stock से बढ़ने के बाद हम लाभ निकाल सके है।
इसमें intraday day की तुलना में जोखिम कम होता है । क्योंकि तुरंत बेचने और खरीदने में हानि की संभावना अधिक होती है ।
स्केल्पिंग ( scalping)
स्केल्पिंग में हम किसी स्टॉक के शेयर्स को बड़ी मात्रा में खरीद कर कुछ मिनट के अंतर भेज देते हैं ,
इसे हम स्केल्पिंग ( scalping) ट्रेडिंग कहते है ।
ध्यान रहे यह जोखिमों से बरी होती है क्योंकि इसमें हम खरीदारी और बेचना कुछ ही सेकंड्स के अंदर करना होता है जिससे इसमें लाभ हानि की संभावना अधिक होती है आइए जाने कैसे :-
मान लीजिए कोई स्टॉक आपने खरीदा और आपके खरीदते है उस पार्टिकुलर स्टॉक के बारे में कोई नेगेटिव न्यूज़ आई तो आपका फंड जल्दी माइनस में होगा जिससे हानि अधिक हो सकती है ।
पोजीशन ट्रेडिंग ( position trading )
पोजीशन ट्रेडिंग के अंतर्गत हम किसी पार्टिकुलर स्टॉक को सप्ताह ( week ) महीनो हमारे पोर्टफोलियो में होल्ड करके रखते हैं , इसे हम पोजीशन ट्रेडिंग करते हैं ।
पोजीशन ट्रेडिंग में हम जिस स्टॉक को खरीदते हैं उसके बारे में हम पूर्व पार्टिकुलर स्टॉक से संबंधित कंपनी के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं तथा भविष्य में उससे लाभ होने ना होने की संभावना निकालते हैं उसके बाद हम पोजीशन ट्रेडिंग में पार्टिकुलर स्टॉक को लंबे समय के लिए खरीद कर रखते हैं
एल्गोरिथम ट्रेडिंग ( Algorithmic trading)
एल्गोरिथम ट्रेडिंग में हम हमारे कंप्यूटर या मोबाइल्स के द्वारा आधुनिक तरीकों से किसी भी कंपनी के स्टॉक के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं तथा कंप्यूटर होने वाली गणितीय की गणना के आधार पर उसके अंतर्गत ट्रेडिंग करते हैं ।
जैसे की आधुनिक इंडीकेटर्स।
ऑप्शन ट्रेडिंग ( option trading )
ऑप्शन ट्रेडिंग को समझने के लिए हम कह सकते हैं कि कोई एक स्टॉक है , उस स्टॉक को हमने कुछ प्रीमियम प्राइसेज या छोटे-छोटे शेयर्स में बाट दिया है , उस स्तिथि में हम पूरे स्टॉक को buy करने के बजाय उसके जो छोटे छोटे प्रीमियम होगे उनको खरीदते है और बेचते है ।
इन प्रीमियम्स को हम स्ट्राइक प्राइसेज कहेंगे , यह दो भागो में बटे हुए होगे , जिसे हम call और put कहते है ।
Call :- इसकी बात की जाए तो जब स्टॉक का प्राइस बढ़ता है तो कॉल के स्ट्राइक प्राइस बड़ेगे, और put के स्ट्राइक प्राइस कम होगे ।
Put :- जब किसी स्टॉक में गिरावट होगी तो , पुट ( put ) के धाम में वृद्धि होगी , और Call के प्राइस गठेगे ।
ऑप्शन ट्रेडिंग की पूरी जानकारी हमारी ऐसी वेबसाइट बारीकी से दी गई है , आप वेबसाइट विजिट करें ले सकते हैं ।
फ्यूचर्स ट्रेडिंग ( futures trading )
फ्यूचर्स ट्रेडिंग में हम किसी स्टॉक के प्राइस को भविष्य में खरीदने के लिए वर्तमान में कॉन्ट्रैक्ट साइन करते है की भविष्य में इस दिन मेरे द्वारा इस पार्टिकुलर स्टॉक को इस प्राइस पर खरीदा जायेगा फिर उस दिन उस स्टॉक का प्राइस बलेही कितना ही क्यों न हो यह प्राइस बड़ भी सकता है और कम भी सकता है पर क्योंकि आपने फ्यूचर्स में कॉन्ट्रैक्ट किया था इस वजह से वह स्टॉक आपको उस प्राइस पर मिलेगा जितने में आपने खरीदने के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था ।
यह कॉन्ट्रैक्ट बायर्स और सेलर्स के बीच होता है ।
फ्यूचर्स ट्रेडिंग तब की जाती है जब आपको पार्टिकुलर स्टॉक के बारे में जानकारी हो के यह आने वाले समय में इतना बढ़ोतरी करेगा ।
फॉरेक्स ट्रेडिंग ( forex trading )
यह एक अंतरराष्ट्रीय व्यापार ट्रेडिंग है जिसमें मुद्राओं का आदान-प्रदान किया जाता है , फॉरेक्स ट्रेडिंग में करेंसी का एक्सचेंज होता है ।
यहां मुद्राएं जोड़ी में खरीदते और बेचते है जैसे की
EUR/USD
JPY/USD
मार्जिन ट्रेडिंग ( margin trading )
कम पैसों में अधिक लाभ उठाने के लिए यह ट्रेडिंग की जाती है ।
जब कोई ट्रेडर या इन्वेस्टर कम पैसों में अधिक शेयर स्टॉक बाय करना चाहता हूं तब वह मार्जिन ट्रेडिंग का उपयोग करता है मार्जिन ट्रेडिंग हमको कम पैसों में अपनी क्षमता से अधिक स्टॉक खरीदने की अनुमति प्रधान करती है ।
इस ट्रेडिंग में ब्रोकर्स से उधार पैसा लेना शामिल होता है , जो की आपको मार्जिन उपलब्ध करवाते है , यह कई बोर्कर्स द्वारा दी जाती है । यह आप विभिन्न स्टॉक ब्रोकर्स के पास जाकर देख सकते है ।
डिलीवरी ट्रेडिंग ( delivery trading )
यह इंट्राडे ट्रेडिंग का बिल्कुल विपरीत होता है इसमें हम कुछ शेयर्स को बाय करके रखते हैं , और उनको जब तक हमारे डीमैट में रखते हैं जब तक हमें प्रॉफिट नहीं हो जाता कुछ समय बाद जब हमें प्रॉफिट दिखा देता है तो हम उन शेयर्स को निकाल देते हैं ।
जबकि इसके विपरीत intraday ट्रेडिंग में हम एक ही दिन में हमारे स्टॉक को बाइंग और सेलिंग करनी होती है ।
और डिलीवरी ट्रेडिंग में हमें एक दिन से अधिक शेयर्स को होल्ड करके रखते हैं ।
आर्बिट्रेज ट्रेडिंग ( Arbitrage Trading )
आर्बिट्रेरी ट्रेडिंग के अंतर्गत मार्केट में होने वाली गड़बड़ी में ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स में लाभ उठाने का प्रयास करते हैं , सीधे शब्दों में समझे तो विदेशी विनिमय के अंतर्गत वस्तु को कम दाम पर खरीद कर तेजी में अधिकतम पर बेचना होता है ।
मोमेंटम ट्रेडिंग ( momentum trading )
जब किसी स्टॉक के प्राइस में मोमेंटम होता रहता है , यानी की स्टॉक के प्राइस में लगातार बड़ोतरी या गिरावट हो रही हो उस समय की जाने वाली ट्रेडिंग को मोमेंटम ट्रेडिंग कहते है ।
इस प्रकार की ट्रेडिंग के लिए हमे ऐसे stocks को खोजना होता है जिसमे लगातार तेजी या मंदी दिखी हो उसके बाद ही यह ट्रेडिंग की जाती है ।
यह तेजी या गिरावट फेक रिटेलर्स और सेलर्स द्वारा की जा सकती है किसी स्टॉक के प्राइस को बढ़ाने या गठाने के लिए ।
फंडामेंटल ट्रेडिंग ( Fundamental trading )
फंडामेंटल ट्रेडिंग में ट्रेडर्स अक्सर जिस स्टॉक को बाय करना चाहते हैं उसके बारे में रिसर्च करते हैं कंपनी की पूरी जानकारी लेकर फ्यूचर प्रिडिक्ट करके वह stocks खरीदते हैं इस प्रकार की गई ट्रेडिंग फंडामेंटल ट्रेडिंग कहलाती है ।
ट्रेडिंग सीखने के लिए क्या करें ?
- पहली बात तो यह है कि आपके पास एक अच्छे ब्रोकर के पास डीमैट अकाउंट ( demet account ) होना चाहिए । हमारे नजर में अभी वर्तमान में एंजेल वन एक अच्छी सुविधा प्रदान करने वाला डीमैट है जिसमें आप अपना अकाउंट ओपन नीचे दिए गए लिंक से कर सकते हैं :https://angel-one.onelink.me/Wjgr/9v76ufmo
- डिमैट अकाउंट ओपन करने के बाद आपको सिखनी है एक अच्छी स्ट्रेटजी । ट्रेडिंग करने के लिए आपको कहीं स्ट्रेटजी मिलेगी और उसमें से बेहतर कौन सी है जिसमें आपका सिस्टम अच्छी तरीके से वर्क कर रहा है और आप अच्छा प्रॉफिट निकालने में सक्षम है उसको आपको पहचाना होगा तथा उसके अनुसार ट्रेडिंग करनी होगी इसके बारे में हम नीचे चर्चा करेंगे ।
- एक अच्छी ट्रेडर की निशानी होती कि वह अपना खुद का एक सिस्टम बनाएं इसके अनुसार ट्रेड करें अन्यथा आपको मार्केट में लॉस देखने को मिल जाता हैं क्योंकि नए जो ट्रेडर होते हैं वह बिना कुछ जाने बिना कुछ समझे अपनी strategy बिना बनाएं मार्केट में ट्रेडिंग करने आ जाता है तथा उनका लॉस हो जाता है तो हमें इस बात से बचाना है और एक अच्छी strategy को फॉलो करना है ।
- अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा की स्ट्रैटेजी कौन सी बनाए किस प्रकार से ट्रेडिंग स्टार्ट करें , तो हमारे द्वारा कुछ strategy के नाम बताए जा रहे हैं आप इनको फॉलो कर सकते हैं अन्यथा खुद का एक ही सिस्टम भी बना सकते हैं जिसमें आप कंफर्टेबल हो
(a) Price action + option chain
(b) BTST strategy
यह कुछ चुनिंदा स्ट्रैटजी है जिनको आमतौर पर ट्रेडर्स use करते हैं ।
नए ट्रेंडर ट्रेडिंग कहां से सीखे ?
आज के दौर में ट्रेडिंग सीखने के बहुत से प्लेटफार्म उपलब्ध है जिनमें से कुछ बेहतर प्लेटफार्म और तरीके हम आपको बता रहे हैं जहां से आप पड़ कर एक अच्छे ट्रेंडर बन सकते हैं
ट्रेंडिंग यूट्यूब से सीखे
यूट्यूब एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां आज सब कुछ सीखने को मिल जाता है और हमारे नजर में अगर आपको ट्रेडिंग में अच्छा ट्रेडर बनाना है तो इससे बढ़िया ट्रेडिंग सीखने का कोई तरीका नहीं होगा । यहां पर ट्रेडिंग सीखने की आपको बहुत सी प्लेलिस्ट मिल जाएगी जिनको सक्सेसफुल ट्रेडर्स द्वारा यूट्यूब पर डाला गया है ।
ट्रेडिंग बुक्स को पढ़े
अगर आप ऑनलाइन टेक्नोलॉजी का सहारा नहीं लेना चाहते तो आप रीडिंग बुक्स को पढ़कर भी एक अच्छे ट्रेंडर बन सकते हैं और आपको अपने जीवन में अच्छे ट्रेडर बनने के लिए एक बुक तो पढ़नी ही चाहिए , और आजकल तो ऑनलाइन इबुक्स पर हमें काफी बुक्स ट्रेडिंग से संबंधित देखने को मिल जाती है।
अगर आपको ट्रेडिंग बुक्स की जानकारी नहीं है तो मैं कुछ चुनिंदा बुक्स में से आप पड़ सकते हैं जैसे की :-
1.When Genius Failed. with author Roger Lowenstein
2.The Intelligent Investor
ऑनलाइन ट्रेडिंग कोर्स ( Online trading course )
अगर आप चाहे तो एक अच्छा ट्रेडिंग कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं जिससे आप नियम से सिस्टमैटिक ट्रेडिंग सीख सकते हैं इसके लिए बाजार में कई कोर्स उपलब्ध है जिसमें से हमारा पसंदीदा कोर्स यह है जिससे आप अच्छे तरीके से ट्रेडिंग सीख सकते है :- Do you know MMT Course helped me to become an Independent Trader in Stockmarket and earn a regular income.
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ब्लागिंग वेबसाइट से ट्रेडिंग सीखे
आजकल गूगल पर हमें बहुत सारी वेबसाइट स्टॉक मार्केट से रिलेटेड ट्रेडिंग का कंटेंट प्रोवाइड करती है, उनसे हम सिस्टम वाइस ट्रेडिंग सीखना चाहिए जिसमें से एक वेबसाइट हमारी भी है आप इसे शुरुआत से लेकर बड़े स्तर तक की ट्रेडिंग आसानी से सीख सकते हैं ।
आप इस नीचे दी गई लिंक से ट्रेडिंग सीख सकते हैं बिना कोई शुल्क के ।
Website link :- https://smartstockadda.com/
यहां हमारे द्वारा इंग्लिश और हिंदी दोनों भाषा में ट्रेडिंग के बारे में सिखाया जाता है ।
ट्रेडिंग कम्युनिटी को ज्वाइन करे
हमें ऑनलाइन ट्रेडिंग कम्युनिटी को ज्वाइन करना चाहिए मार्केट में क्या करना चाहिए इसके बारे मैं ट्रेडिंग कम्युनिटी से विचार मिलते है । यह कम्युनिटीज आपको टेलीग्राम , व्हाट्सएप , इंस्टाग्राम पर मिल जायेगी, इसमें आपके जैसे ट्रेडर्स जो ट्रेडिंग करते हैं उनके विचार आपके इस कम्युनिटी में देखने को मिलेंगे , इनके विचारो से आप प्रभावित होगे और आपको ट्रेडिंग के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा ।
ट्रेडिंग पॉडकास्ट ज्वॉइन करें
ऑनलाइन आपको बहुत सारे ट्रेडिंग पॉडकास्ट मिल जाएंगे जिसमें आप सक्सेसफुल ट्रेडर की अपने ट्रेडिंग January के बारे में बताते हैं यह आपको ट्रेडिंग करने का एक मार्गदर्शन प्रदान करेंगे तथा आपके कॉन्फिडेंस को बिल्ड अप करेंगे इसलिए हमें ट्रेडिंग पॉडकास्ट भी ज्वाइन करना चाहिए ।
ट्रेडिंग सेमिनार को ज्वाइन करें
अगर आपको आपके एरिया में ट्रेडिंग सेमिनार ज्वाइन करने का मौका मिलता है तो आप को इसे ज्वाइन करना चाइए इससे ट्रेडिंग के बारे में आपको ट्रेडिंग संबंधित बहुत सी जानकारी मिलेगी जो की आपके ट्रेडिंग के करियर में काफी मददगार कर होगी ।
पेपर ट्रेडिंग का उपयोग करें
जब आप मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए तैयार हो जाए तो उससे पहले एक महीने तक आपको पेपर ट्रेडिंग जरूर करनी चाहिए , पेपर ट्रेडिंग का मतलब यहां यह है कि आप मार्केट में पैसा ना लगाते हुए आप एक पुस्तक बनाएं जिसमें आप कहां से ट्रेड लेना चाहते हैं और आप उसमें उसका स्टॉप लॉस और टारगेट क्या लगाते हैं तथा एक महीने तक आप ऐसे लिखे और उसके बाद देखे की आपको एक महीने में आपके अगर पेपर ट्रेडिंग में प्रॉफिट हो तो ही आप मार्केट में ट्रेडिंग करें अन्यथा आपको अपनी स्ट्रैटजी को और मजबूत करना चाहिए ।
उदारण:-
मान लीजिए आपने आज एक ट्रेड लिया , इसकी खरीद आपने की 150 से , तथा इसका स्टॉप लॉस 140 और टारगेट 165 लगाया,
तो आपको यह सब कुछ एक कॉपी में लिखना है ।
तथा मान लीजिए यह position स्टॉप लॉस को छूती है , ऐसी प्रकार आपको लाभ ( profit ) और हानि ( lose )को नोट बुक में लिखना है ।
इसी प्रकार आप लगातार एक महीने तक करे ।
अगर नतीजे अच्छे प्राप्त हो तो आप अपना पैसा मार्केट में लगा सकते है ।
ट्रेंडर को यह नियम ट्रेडिंग में फॉलो करने चाहिए ?
आमतौर पर अक्सर यह देखा जाता है कि नए जो ट्रेडर होते हैं वह ट्रेडिंग में नियमों की पालना नहीं करते जिसके कारण उन्हें लॉस जेलना पड़ता है तो कुछ ऐसे नियम है जो हर एक ट्रेंडर फॉलो करता है और नए ट्रेडर्स को भी यह ट्रेडिंग के नियम जरूर फॉलो करने चाहिए जो कि इस प्रकार से है :-
ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस का प्रयोग ( Using Stop-Loss in Trading )
अक्सर यह देखा जाता है कि नए जो ट्रेडर होते है वह स्टॉपलॉस का प्रयोग नहीं करते हैं लेकिन आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि स्टॉप लॉस पर वर्क नही करना बहुत ही गलत है, अगर आप स्टॉप लॉस का प्रयोग नहीं करते हैं तो आपका फंड बहुत ही तेजी से खाली होगा । हर एक सक्सेसफुल ट्रेडर्स स्टॉप लॉस का प्रयोग करता है क्योंकि उसे पता है मार्केट में स्टॉपलॉस नही लगाने के नुकसान क्या है ।
अगर आप मार्केट में स्टॉपलॉस नहीं लगते हैं और लाइव मार्केट में कोई नेगेटिव मिल जाती है तो मार्केट में एकदम सबको गिरावट देखने को मिलती है और अगर आपने लगाया है तो आपका भारी नुकसान हो सकता है इसलिए हमें हमेशा स्टॉपलॉस का प्रयोग ट्रेडिंग में जरूर करना चाइए ।
ट्रेडिंग में टारगेट का प्रयोग करे ( use targets in trading )
अगर आप एक अच्छे ट्रेडर बनना चाहते हैं तो आपको टारगेट पर कार्य करना चाहिए और यह टारगेट हमेशा हमारे स्टॉपलॉस से 2 से 3 गुना तक के हो सकते है तभी आपके एंड में वृद्धि होगी ।
ऐसा ना हो कि आपका स्टॉपलॉस जितना बड़ा है उतना ही बड़ा आपका टारगेट हो इस प्रकार फंड में वृद्धि नहीं होगी और इससे आपके लॉस ज्यादा होने की संभावना है इसलिए हमेशा स्टॉपलॉस से दो से तीन गुना लगाना चाहिए मान लीजिए आपका स्टॉपलॉस 10 पॉइंट का है तो आपका टारगेट 20 से 30 पॉइंट तक के होना चाहिए ।
ट्रेडिंग में ट्रेलिंग स्टॉपलॉस पर वर्क करें ( Work on trailing stoploss in trading )
यह ट्रेडिंग में इस्तेमाल किया जाने वाला एक अच्छा तरीका है जिससे आपके fund में अत्यधिक बढ़ोतरी हो सकती है ट्रेलिंग स्टॉपलॉस का मतलब यह होता है कि आपने कोई एक ट्रेड लिया जिसमें आपने स्टॉप लॉस लगाया और आपने एक टारगेट लगाया जब आप टारगेट लगाते हैं तो मार्केट में वृद्धि होने के बाद आपकी फंड में जब वृद्धि होती है तो हमें टारगेट पर पोजीशन को नहीं काटना है और हमारी पोजीशन में जो टारगेट था उसको स्टॉपलॉस लेकर मार्केट के ट्रेंड के साथ हमारी पोजीशन को भी बढ़ते क्रम में रखना है , और यह जब तक करना है जब तक मार्केट में ट्रेंड चेंज ना हो यह ट्रैलिंग स्टॉपलॉस लगाने से आपके फंड में अत्यधिक तेजी से बढ़ोतरी होने की संभावना रहेगी ।
मार्केट में सही एंट्री ले ( make the right entry into the market )
मार्केट में सही एंट्री लेना बहुत जरूरी होता है क्योंकि बहुत सी बार देखा जाता है कि हमारी मार्केट में गलत एंट्री की वजह से लॉस हो जाता है । हमें मार्केट में एंट्री स्टॉपलॉस रेजिस्टेंस को देखकर लेनी चाहिए या फिर आपका जो सिस्टम है उसके हिसाब से जो सिग्नल्स देता है एंट्री के वहां से हमें मार्केट में एंट्री लेनी चाहिए आप ऐसे ही कुछ बिना सोचे समझे कभी मार्केट में एंट्री ना लें ।
मार्केट में एंट्री लेने का सही समय
देखिए जब आप ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं तो हमें कभी भी मार्केट के खुलने के बाद तुरंत उसमें एंट्री नहीं लेनी चाहिए अच्छे ट्रेडर की खासियत होती है की वह मार्केट खुलने के कुछ समय बात करें एंट्री लेता है , जैसे की ऑप्शन ट्रेडिंग मार्केट 9.15 पर ओपन होता है तो हमें मार्केट में एंट्री 9:45 के बाद ही लेनी चाहिए हमें पूरा चार्ट सिनेरियो देखना चाहिए की मार्केट किस रेंज में किस तरह से मूव कर रहा है यह किस ट्रेंड में चल रहा है उसके बाद ही मार्केट में एंट्री ले जिससे आपकी लॉस के चांसेस काम हो जाएंगे और प्रॉफिट मैं आपको वृद्धि देखने को मिलेगी।
रिस्क मैनेजमेंट ( risk management )
रिस्क मैनेजमेंट का शाब्दिक अर्थ है कि हमारा जो फंड है उसको निवेश किस प्रकार से किया जाए कि हमारी हानी की संभावना कम हो तथा लाभ की संभावना अधिक हो और हमारा निवेश का पैसा खत्म ना हो ।
रिस्क मैनेजमेंट का दूसरा अर्थ हम यह समझ सकते हैं कि हमारा जो फंड है उसको किस प्रकार से मार्केट में उपयोग में लिया जाए जिससे हम मार्केट में होने वाली हानियों से बच सके।
रिस्क मैनेजमेंट ट्रेडिंग करियर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है , यह फंड के निवेश को सही तरीके से उपयोग करने में हमारी सहायता करता है ।
रिस्क मैनेजमेंट हमें अनुमान प्रदान करता है कि हम ट्रेडिंग में किस प्रकार से ज्यादा लॉस से बच कर , और अच्छा प्रॉफिट बनाकर सक्षम ट्रेडर बन सकते हैं , हमें हमारे फंड से संबंधित एक स्ट्रेटजी बनानी होगी जो कि हमें फंड को मैनेज करने में सहायता करेगी ।
हमें हमारा फंड का रिस्क मैनेजमेंट किस प्रकार से ट्रेडिंग में करना है उदाहरण सहित समझते हैं ।
अनुमानित उदाहरण:-
Fund = 1,00,000
ट्रेडिंग उपयोग राशि 10%
हमें हमारे ₹1,00,000 में से सिर्फ 10,000 का उपयोग ट्रेडिंग में करें ।
Use in trading 10% = 10,000
हमें इन ₹10000 तक कोई पोजीशन मार्केट में ट्रेडिंग के लिए खरीदनी है ,
लॉस :- अब हमारा जो ₹10000 का फंड है हमारे कुल फंड का 10% इसमें से हमें सिर्फ 10% की हानि लेनी है यानी की ₹1000 की हानि है इससे ज्यादा हम मार्केट में हानि नहीं लेंगे ।
Profit :- क्योंकि हम ट्रेडिंग में एक पोजीशन पर ₹1000 का लॉस लेने को तैयार है तो हमारा जो प्रॉफिट है वह हम कम से कम 2 से 5 हजार के बीच का लेंगे साथी में हम ट्रेलिंग स्टॉपलॉस का प्रयोग करेंगे।
यह हमारे द्वारा बताया गया सिर्फ एक उदाहरण है आप खुद का एक रिस्क मैनेजमेंट पोर्टफोलियो बना सकते हैं जिसके अनुसार आप ट्रेडिंग कीजिए आपको ट्रेडिंग में जरूर सुधार दिखेगा और इससे आपके मार्केट में फंड खत्म होने के चांसेस भी बहुत कम हो जाएंगे
ओवर ट्रेडिंग से बचे ( avoid over trading )
अक्सर यह देखा जाता है जो एक्सपीरियंस ट्रेडर्स नहीं होते वह ओवर ट्रेडिंग कर जाते हैं ओवर ट्रेडिंग का मतलब यह है कि कहीं ज्यादा पोजीशंस बाय और सेल कर देते हैं आपको इससे बचना है आपको लिमिटेड ट्रेडिंग करनी है, लिमिटेड ट्रेडिंग से मतलब यह है कि आप रोजाना का अपना एक नियम बनाया कि मैं इतनी ही ट्रेड buy ( खरीदी ) करूंगा इससे ज्यादा में एक दिन में ट्रेड नहीं करूंगा यह आपको ट्रेडिंग करियर में बहुत ही अच्छे रिजल्ट देगी।
भावनाओ में आकर कभी ट्रेड ना करें
नए जो ट्रेडर होते हैं वह भावना में आकर ट्रेडिंग कर जाते हैं जिससे उन्हें लॉस उठाना पड़ता है तो आप इससे बचें एक अच्छे ट्रेडर बनने की निशानी है वह भावनाओं में ना आकर अपने टेक्निकल एनालिसिस और ट्रेडिंग स्ट्रैटजी सिस्टम पर ध्यान देकर ही ट्रेड करें इसलिए आपको भावनाओं में व्यक्त होकर कभी भी ट्रेड नहीं करनी चाहिए ।
भावनाओं में आकर ट्रेड करने का मतलब यह है कि वह खुद पर कंट्रोल न रखते हुए मार्केट ऊपर जाने वाला है नीचे जाने वाला है ऐसी कुछ मन में स्ट्रेटजी बना लेता है या फिर लॉस होने के बाद तो भावना में व्यक्त होकर अत्यधिक ट्रेडिंग कर देता है इसे हमें बचाना है ।
ध्यान रखिएगा मार्केट भावनाओं का खेल नहीं है जिसको आप भावना में आकर ट्रेडिंग करें आपको मानसिक रूप से सक्षम होना होगा तभी आप एक अच्छे ट्रेडर बन सकेंगे ।
हानी होने पर संयम रखें ( be patient in case of loss )
बहुत सी बार देखा जाता है की ट्रेडिंग में लॉस होने के बाद नए जो ट्रेडर होते हैं वह खुद पर काबू नहीं रख पाते हैं और ओवर ट्रेडिंग करने लग जाते हैं आपको इस चीजों से बचाना है और हमेशा खुद पर संयम रखकर ही ट्रेडिंग करनी है अगर किसी दिन लॉस होता भी है तो हमको उस दिन को अवॉइड करके अगले दिन से नहीं शुरुआत करनी चाहिए ऐसा नहीं है कि आप लॉस को रिकवर करने के चक्कर में ओवर ट्रेडिंग करते जाएं जिससे आपकी मानसिक स्थिति भी खराब हो सकती है और आपका फंड भी खाली हो सकता है ।
ट्रेडिंग की योजना बनाएं ( make a trading plan )
देखिए एक अच्छा ट्रेडर वही भी होता है जो अपनी ट्रेडिंग की योजना बनाकर चलें आपको रोजाना की ट्रेडिंग योजना बनानी है जिसमें आपको यह फैसला लेना है कि मैं इस दिन कितना लॉस ले सकता हूं मार्केट से और कितना प्रॉफिट ले सकता हूं अगर आप इस प्रकार से ट्रेडिंग करेंगे तो आपकी ट्रेडिंग लाइफ बहुत ही अच्छी होगी ।
अनावश्यक ट्रेडिंग ना करें ( Do not do unnecessary trading )
देखिए आप जो अपना एक स्ट्रेटजी बना कर रखे हैं आपको उसी के उपर ट्रेड लेना है ऐसा ना होगी आप अपनी स्ट्रैटजी को फॉलो ना करते हुए अनावश्यक ट्रेडिंग करने लग जाए आपको ट्रेड दिखे तभी ट्रेड ले, अनावश्क ट्रेडिंग ना करें ।
रिस्क रिवार्ड रेश्यो ( risk reward ratio )
अपना रिस्क रिपोर्ट रेश्यो जरूर बनाएं जैसे कि आपने कोई ट्रेड लिया तो उस पर कितना लॉस ले सकते हैं और कितना प्रॉफिट इस पर आपको लेना चाहिए यह स्ट्रैटजी ही रिस्क रिवार्ड रेश्यो कहलाती है ।
आपका रिस्क रिवार्ड रेश्यो 1:2 1:3 का तो हमेशा होना ही चाहिए , यह बड़ कर 1:4 1:5 भी हो सकता है । अगर आप 1:1 रिस्क रिवार्ड रेशों रखते हैं तो इसमें आपकी हानि और लाभ बराबर होंगे तो इसका कोई मतलब नहीं है क्योंकि आपका हानी और लाभ का अनुपात बराबर है इस अनुपात को बढ़ाकर रखिए हानी कम और लाभ अधिक का अनुपात लेकर चलिए इससे आप अगर ट्रेडिंग करते हैं तो आपको फंड में वृद्धि तेजी से दिखेगी ।
ट्रेडिंग में टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करें ( Use Technical Analysis in Trading )
शेयर मार्केट में माना जाता है कि इतिहास दोहराता है इसका अर्थ यह है कि जो भूतकाल में जो घटनाएं घटित हुई है वह फिर से भविष्य में दोहराती है ।
कुछ इसी प्रकार से शेयर मार्केट में भी देखा जाता है की जो घटनाएं शेयर मार्केट में हो चुकी है वह पुनः मार्केट में होती है ।
टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग कर आप अच्छे ट्रेडर बन सकते हैं क्योंकि जो मार्केट में पहले घटनाएं हुई थी वह मार्केट में दोबारा होती रहती है जैसे कि कैंडलेस्टिक पेटर्न, चार्ट पेटर्न , ट्रैंड लाइन , सपोर्ट रेजिस्टेंस आदि शेयर मार्केट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं , यह सभी मार्केट में मार्केट किस प्रकार से आपको चलता हुआ दिख सकता है इसके बारे में अनुमान प्रदान करते हैं इसलिए हमें इन सभी का ज्ञान होना आवश्यक है ।
ऐसा नहीं है कि हम टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग सिर्फ ट्रेडिंग में ही कर सकते हैं, आप हर एक मार्केट में इसका उपयोग कर सकते हैं जैसे कि इक्विटी, फॉरेक्स ट्रेडिंग , क्रिप्टो ट्रेडिंग, ऑप्शन ट्रेडिंग, कमोडिटी, इंडेक्स फंड आप कोई सी भी ट्रेडिंग करें टेक्निकल एनालिसिस आपको उपयोगी सिद्ध होगा यह हर प्रकार की ट्रेडिंग इन्वेस्टिंग में आपकी मदद करेगा इसलिए टेक्निकल एनालिसिस सिखाना बहुत ही जरूरी होता है ।
आपके मन में सवाल आ रहे होगा कि हम टेक्निकल एनालिसिस कैसे सीखे , टेक्निकल एनालिसिस में हमें क्या-क्या सीखना पड़ेगा , यह कितने प्रकार का होता है , तो आपको बता दे की इसको सिखाना बहुत ही आसान है ।
टेक्निकल एनालिसिस में क्या-क्या सीखे ( What to learn in technical analysis )
देखिए टेक्निकल एनालिसिस सीखने के लिए में 5 चीजों को सिखाना होगा जिससे आप एक कंपलीट टेक्निकल एनास्टिक्स बन जाएंगे जो कि निम्न प्रकार से हैं :-
- सपोर्ट- रेजिस्टेंस ( Support – resistance )
- ट्रेंड-लाइन ( trend-line )
- कैंडलेस्टिक पैटर्न ( candlestick patterns )
- चार्ट पैटर्न ( chart-patterns )
- इंडिकेटर्स ( Indicators )
सपोर्ट-रेजिस्टेंस ( support – resistance)
Support:- स्टॉक मार्केट में सपोर्ट हुआ जगह होती है जहां पर बायर्स खरीदने की दिलचस्पी दिखाते हैं ।
अगर हम चार्ट पर सपोर्ट को देखें तो जहां से मार्केट में तेजी आई हो ।
सपोर्ट मार्केट में कमरोध की तरह कार्य करता है ।
सपोर्ट वह जगह है जहां पर से मार्केट को नीचे जाने से रोका जाता है ।
यह चार्ट में नीचे की ओर बनता है ।
Resistance:- मार्केट में रेजिस्टेंस वह जगह होती है जहां से ट्रेडर्स बेचने में दिलचस्पी दिखाते हैं।
रेजिस्टेंस एक अवरोध की तरह कार्य करता है जो की मार्केट के ऊपर जाने से रोकता है ।
यह चार्ट में चार्ट के टॉप पर ऊपर की ओर बनता है ।
ट्रेंड – लाइन ( Trend – line )
ट्रेंड लाइन मार्केट में मार्केट की दिशा को जानने का मदद करती है की मार्केट कौन सी दिशा में चल रहा है , मार्केट में ट्रेंड तीन प्रकार के होते हैं :-
1.साइडवेज ट्रेंड ( sideways – trend) –
जब मार्केट एक रेंज के अंदर घूमता है तो वह साइड वेज ट्रेंड कहलाता है जो की एक सीधी दिशा में चलता हुआ दिखाई देता है जैसा कि आपको चित्र में स्पष्ट दिखाई दे रहा हूं।
इसमें कैंडलेस्टिक पेटर्न बनते हुए एक सीधी दिशा में जाते हुए दिखाई देते हैं ।
2 . अप- ट्रेंड (up – trend )
Up-trend के अंतर्गत मार्केट एक रेंज में ऊपर की ओर जाता हुआ दिखाई देगा । इसमें कैंडलेस्टिक पेटर्न्स बनते हुए ऊपर की ओर जाते हुए दिखाई देंगे । जैसा कि आप चित्र में देख कर अनुमान लगा सकते है ।
3 . डाउन ट्रेड ( down – trend)
इसमें कैंडलेस्टिक पेटर्न बनते हुए हमें नीचे की ओर जाते हुए दिखाई देंगे, डाउन ट्रेड में मार्केट नीचे की ओर गिरता हुआ दिखाई देता है।
जब मार्केट मैं लगातार गिरावट देखी जाती है तो उसे हम डाउन ट्रेड कहते हैं ।
कैंडल स्टिक पैटर्न ( Candlestick pattern)
बाजार में चल खरीदी और बिक्री के भावों को कैंडल्स के फॉर्म में ग्राफिक रूप में दिखाना कैंडलेस्टिक पैटर्न कहलाता है ।
यह दो प्रकार की होती है :-
1 . रेड कैंडल
2 . ग्रीन कैंडल्स
all candle stcik pattern in hindi :- https://smartstockadda.com/category/candle-stick/single-candle-stick-pattern/
चार्ट- पेटर्न ( Chart – pattern)
शेयर मार्केट में चल रहे हैं उतार- चढ़ाव को रेखांकित रूप से दर्शाने के लिए हम चार्ट पेटर्न्स का उपयोग करते हैं , ट्रेडिंग करने में काफी मदद करते हैं इसलिए मैं चार्ट पेटर्न का ज्ञान होना ।
अगर आप भी चार्ट पेटर्न्स के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे द्वारा सभी चार्ट पेटर्न्स को इसी वेबसाइट ( smartstcokadda.com )पर बताया गया है आप विजिट करके उनको पढ़ सकते हैं ।
all chart pattern in hindi :- https://smartstockadda.com/category/reversal-chart-patterns/
ट्रेडिंग में इंडिकेटर्स का प्रयोग करें ( Use indicators in trading )
ट्रेडिंग में आधुनिक तकनीक के इंडिकेटर का प्रयोग करना आजकल आम बात हो चुकी है और हर एक एक्सपीरियंस ट्रेडर्स से लेकर न्यू ट्रेडर्स को इंडिकेटर का प्रयोग करना चाहिए जो कि हमें ट्रेडिंग में सिग्नल्स प्रोवाइड करते हैं की मार्केट किस डायरेक्शन में जा सकता है ।
टेक्निकल एनालिसिस के साथ आपको इंडिकेटर का प्रयोग भी करना चाहिए जिससे आपकी ट्रेडिंग में सुधार होगा और आपकी एक्यूरेसी मार्केट में बढ़ेगी जिससे आप एक अच्छे ट्रेडर बन सकते हो इसलिए आपको हमेशा टेक्निकल एनालिसिस के साथ इंडिकेटर का प्रयोग करना चाहिए ।
आपको इन इंडिकेटर का प्रयोग ट्रेडिंग में करना चाहिए यह आमतौर पर सबसे ज्यादा प्रयोग में लिए जाने वाले इंडिकेटर है जैसे की :- RSI, MACD, EMA, VWAP
ट्रेडिंग में वॉल्यूम का प्रयोग करें ( Use Volume in Trading )
ट्रेडिंग में वॉल्यूम हमें करंट टाइम पर मार्केट में चल रहे हैं बिक्री और खरीदी को बताता है ।
अलग-अलग टाइम फ्रेम पर हम चार्ट में वॉल्यूम देख सकते है जैसे कि हमने 5 मिनट का चार्ट खोल रखा है तो उसमें मैं यह 5 मिनट में होने वाली बिक्री और खरीदी को बताएगा जिससे मार्केट में यह पता चलता ही मार्केट किस तरफ जा सकता है मार्केट में किसका ज्यादा प्रभाव है,बायर्स या सेलर्स अभी किसकी स्थिति मजबूत है , इसका पता हम वॉल्यूम देखकर भी लगा सकते हैं इसलिए नए ट्रेडर्स को वॉल्यूम के बारे में जानकारी होना अति आवश्यक है।
यह हमे चार्ट में नीचे की ओर दिखाई देता है , इसकी देखने के लिए हम वॉल्यूम इंडिकेटर ( volume indicator) का प्रयोग कर सकते है ।
एक एक्टिव ट्रेडर की पहचान
यह वह रास्ते हैं जिसको आप अपने जीवन में उतार कर एक अच्छे ट्रेडर बनने की राह पर और तेजी से सफल होंगे इन तरीकों को आप फॉलो करके एक अच्छे ट्रेड ही नहीं बल्कि एक अच्छे एक्टिव पर्सन भी बनेंगे साथी में आपकी ट्रेडिंग में बहुत मदद होगी
- 1 . रोजाना अखबार को पढ़ें
- 2 . बाजार की निगरानी और विश्लेषण
- 3 . टेलीविजन के माध्यम से समाचार पत्र का अध्यन
- 4 . गूगल ट्रेंड्स का उपयोग करें
- 5 . फाइनेंशियल आर्टिकल का उपयोग करें ।
रोजाना अखबार पढ़े
अगर आप रोजाना के अकबर पढ़ते हैं तो आप होने वाली घटनाओं से अवगत रहते हैं , इसका उपयोग शेयर मार्केट में होने वाली गिरावट और बढ़ोतरी से अवगत रहेंगे है।
बाजार की निगरानी और विश्लेषण
आपको रोजाना डेली लाइव चार्ट पर निगरानी रखनी चाहिए जिससे आपको मार्केट को देखने का तरीका मालूम पड़ेगा आप मार्केट में होने वाले बदलाव को आसानी से कैप्चर और समझ पाएंगे इसलिए हमें मार्केट में ट्रेडिंग ना करते हुए समय भी मार्केट पर निगरानी रखनी अति आवश्यक है यह आपको ट्रेडिंग को देखने के point of view को निखारता है ।
लगातार चार्ट को देखने से उसमें बनने वाले कैंडलेस्टिक पेटर्न चार्ट पेटर्न से आप अवगत होंगे जिससे आपको आगे जाकर उनको पहचानने में आसानी होगी और आपकी accuracy बड़ेगी , साथ ही में आपकी मार्केट में पकड़ बनी रहेगी ।
टेलीविजन के माध्यम से समाचार पत्र का अध्ययन
लाइव मार्केट में ट्रेडिंग करते समय हमें समाचार पत्रों से भी परस्पर मिलकर रहना होता है क्योंकि मार्केट में कोई न्यूज़ आती है तो हमें टेलीविजन के माध्यम से तुरंत प्रभाव से प्राप्त होती है जिससे मार्केट में होने वाले इंपैक्ट को हम पहले ही कैप्चर कर सकते हैं इसलिए हमें टेलीविजन में समाचार पत्रों से ट्रेडिंग करते समय जुड़े रहना चाहिए ।
यह आपकी नई ट्रेडिंग लाइफ में काफी उपयोगी सिद्ध होगा क्योंकि आप होने वाले लॉसेस से बच जाएंगे ।
गूगल ट्रेंड्स ( Google Trends )
गूगल ट्रेंड फिलहाल करंट में चल रहे हैं बातों से उद्गत करता है यह हमारे स्टॉक मार्केट में इनफैक्ट डालता है क्योंकि मान लीजिए कोई स्टॉक है जो गूगल ट्रेंड्स में रैंक कर रहा है अब वह चाहे तो उसकी नेगेटिव न्यूज़ हो सकती है या पॉजिटिव इसका इंपैक्ट उस स्टॉक पर जरूर पड़ता है तो हमें गूगल ट्रेंड्स को हमेशा चेक करते रहना चाहिए कि गूगल ट्रेंड्स में कौन सा स्टॉक चल रहा है जेसे की मान लीजिए कोई एक स्टॉक है जिसकी कोई पॉजिटिव न्यूज़ गूगल ट्रेंड्स में वायरल हो रही है तो इसका इंपैक्ट उसके स्टॉक पर भी पड़ेगा और उसे स्टॉक में बढ़ोतरी होने के चांसेस बहुत अधिक होंगे इसलिए गूगल ट्रेंड्स का उपयोग में ट्रेडिंग में करते रहना चाहिए।
फाइनेंशियल आर्टिकल ( financial article )
हमें फाइनेंशियल आर्टिकल को पढ़ते रहना चाहिए यह हमारी ट्रेडिंग को बहुत ही अधिक मजबूत करते हैं यह बजट, धन संबंधित, कोई आपदा इनसे अवगत कराते हैं जिसका इंपैक्ट मार्केट पर बहुत अधिक पड़ता है , इसलिए हमें फाइनेंशियल आर्टिकल जरूर ही पढ़ने चाहिए।
ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान
ट्रेडिंग में लाभ की बात की जाए तो इससे बहुत अधिक पैसा कमाया जा सकता है , किंतु उसके लिए हमारे पास कुछ अच्छी ट्रेडिंग स्ट्रेटजी होनी चाहिए , इसको हमें एक बिजनेस समझ कर करना चाहिए क्योंकि यह बिजनेस की तरह ही है ।
अगर हानी की बात की जाए तो उसको हमारी पूंजी का खत्म होने का जोखिम होता है , और साथ ही में इसमें मानसिक स्थिति , हार्ट प्रोब्लम का भी भय होता है यह उस स्तिथि में गठित होता है जब आपने आपका पैसा खो दिया हो जिसके कारण आपने मानसिक तनाव ले लिया हो ।
तो यह ध्यान रखिए उतना ही पैसा लगाए जितना आपके पास खोने की क्षमता हो ।
F & Q
स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग का टाइम क्या होता है ?
9.00am – 9.15am मार्केट सेटलमेंट
9.15am – 3.30pm ट्रेडिंग, इन्वेस्टिंग
शुरुआती लोगों के लिए कौन सा ट्रेडिंग अच्छा है ?
intraday trading
ट्रेडिंग के लिए बेस्ट ऐप कौन सा है ?
angle one
मैं ट्रेडिंग कितने पैसों से स्टार्ट कर सकते हु ?
ट्रेडिंग में निवेश की कोई सीमा नहीं है अब 1rs से लेकर लाखों रुपए रुपए तक की ट्रेडिंग कर सकते हैं ।
फ्री में स्टॉक मार्केट कहां पर सीखे ?
Youtube , blogging website, e-books, trading community
भारत में कितनी ट्रेडिंग कंपनी है ?
भारत में कुल 23 ट्रेडिंग कंपनी है ।
Ce और Pe क्या है ?
Ce का का मतलब कॉल विकल्प और pe का मतलब विकल्प लगाए ।
ऑप्शन बाइंग में जब मार्केट ऊपर की ओर जाता है तो हमें Ce के ऑप्शन खरीदने चाइए ।
और जब मार्केट में गिरावट होती है तो हमें Pe के ऑप्शन खरीदने चाइए ।
अगर आपको हमारी जानकारी अच्छी लगती हो तो हमें जरूर कमेंट सेक्शन में बताइए तथा हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भी ज्वाइन करिए आगे की जानकारी प्राप्त करने हेतु ।
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