The Bullish Engulfing CANDLESTICK Pattern IN HINDI
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बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न (The Bullish Engulfing Pattern) क्या है?
बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न (The Bullish Engulfing Pattern) एक तेजी को बतलाने वाला कैंडिस्टिक पैटर्न है जिसमें यह डाउन ट्रेड में चल रहे किसी स्टॉक के सपोर्ट पर बनता हुआ दिखाई दे सकता है सपोर्ट पर इसके बनने के बाद ऐसा माना जाता है की मार्केट में अब ट्रेंड रिवर्सल होने वाला है मार्केट में तेजी आने वाली है ।
यह एक डबल कैंडलेस्टिक पैटर्न है जिसमें दो कैंडल्स होती है पहली जो कैंडल होती है वह लाल मंदी को दर्शाने वाली कैंडल होती है दूसरे कैंडल जो होती है वह हरी होती है जो की तेजी को बतलाती है ।
बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न (The Bullish Engulfing Pattern) चार्ट पर किस प्रकार का बनता दिखाई दे सकता है ?
यह पैटर्न निम्न प्रकार से चार्ट पर बनता हुआ दिखाई दे सकता है:-

बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न (The Bullish Engulfing Pattern) को कैसे पहचाने ?
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बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न (The Bullish Engulfing Pattern) को पहचानने के लिए हमें निम्न बातों का ध्यान रखना है :-
- जैसा कि आप चित्र में देख पा रहे हैं हमने चित्र के जरिए आपको इस पैटर्न को समझाने की कोशिश की है यहां कैंडल्स देखे तो पहली जो कैंडल होती है वह दूसरी कैंडल के बराबर या उसे छोटी होती है इस बात का हमेशा ध्यान रखें।
- और हमेशा ध्यान रहे कि पहले जो कैंडल होगी वह एक बेयरिश कैंडल होगी जो कि हमेशा लाल होगी और दूसरी जो कैंडल होगी वह हमेशा एक बुलिश कैंडल होगी जो की हरी होगी ।
बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न (The Bullish Engulfing Pattern) की खासियत, विशेषताएं और महत्व!
- यह तेजी को बतलाने वाला डबल कैंडलेस्टिक पेटर्न है।
- . यह मार्केट में लंबे समय से चल रही मंदी के समय बनता है।
- यह सपोर्ट पर बनेगा तभी कार्य करेगा।
- अगर सपोर्ट पर बनने के बजाय चार्ट के बीच में या रेजिस्टेंस पर बनता है तो इसका कोई महत्व नहीं है होता।
- इसमें पहली कैंडल हमेशा लाल और दूसरे कैंडल हमेशा हरि रंग की होगी।
- यह डाउन ट्रेड के दौरान हमको बनता हुआ दिखाई देता है।
- ध्यान रहे जब यह कैंडल स्टिक पैटर्न सपोर्ट पर बने तो इसके साथ जो सेकंड जो कैंडल होती है जो की एक तेजी वाली कैंडल होती है उसका वॉल्यूम अधिक होना चाहिए अगर वॉल्यूम अधिक नहीं है तो यह एक फेक कैंडलेस्टिक पेटर्न भी बन सकता है।
- इस पैटर्न में जो पहली कैंडल होती है वह दूसरे कैंडल की तुलना में छोटी या उसके बराबर हो सकती है परंतु पहली कैंडल कभी भी दूसरे कैंडल से बड़ी नहीं होगी अगर ऐसा होता है तो यह एक बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न (The Bullish Engulfing Pattern) नहीं है ।
- यह कैंडलेस्टिक पेटर्न जब चार्ट पर बन जाता है तो उसके बाद अगली तीन कैंडल्स में से कोई भी एक कैंडल तेजी वाली दूसरी कैंडल के हाई को ब्रेक कर देनी चाहिए वरना यह एक इतना मजबूत रिवर्सल नहीं माना जाएगा
- पैटर्न बनने पर हमे आधुनिक इंडिकेटर का प्रयोग भी करना चाहिए जैसे:- RSI & MACD यह पैटर्न जब बनता है तो rsi का जो मान है 60 के करीब होना चाहिए ।

बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न (The Bullish Engulfing Pattern) बनने की साइकोलॉजी
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जब मार्केट डाउन ट्रेड में चलता रहता है तो वह सपोर्ट पर जाकर एक बियरिश कैंडल बनता है जो की मंडी की कैंडल होती है जो की बतलाती है की मार्केट में गिरावट का ट्रेंड जारी है।
इसके बाद दूसरी कैंडल सपोर्ट पर एक बड़ी तेजी वाली कैंडल बनती है जो कि हमें यह बताती है की मार्केट में अब सेलर्स जो है वह कमजोर पड़ते जा रहे हैं और बायर्स मार्केट में हावी होते जा रहे जिससे की मार्केट में अब बदलाव हो सकता है मार्केट अप ट्रेंड में जा सकता है।
बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न (The Bullish Engulfing Pattern) और वॉल्यूम (volume) में संबंध
किसी भी कैंडलेस्टिक पेटर्न में वॉल्यूम महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि अगर वॉल्यूम अधिक नहीं होता तो रिवर्सल के चांसेस ना के बराबर होते हैं ।
बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न (The Bullish Engulfing Pattern)
पैटर्न में भी ऐसा ही है इसमें जो दूसरी कैंडल होती है तेजी वाली उसका वॉल्यूम पहले वाली red कैंडल से अधिक होना चाहिए तभी रिवर्सल स्ट्रांग माना जाता है इसलिए यह बहुत जरूरी हो की दूसरी वाली कैंडल जो होती है उसका वॉल्यूम अधिक हो और साथी में कैंडलेस्टिक पेटर्न के बनने के बाद जो अगली कैंडल्स बनती है उनका वॉल्यूम भी बढ़ते क्रम में हो तो यह काफी ही अच्छा ट्रेन रिवर्सल बन जाएगा
बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न (The Bullish Engulfing Pattern) का ट्रेडिंग (trading) में उपयोग

इसका ट्रेडिंग उपयोग करने के लिए हम तीन बातों पर जोड़ देंगे पहले इसके द्वारा मार्केट में एंट्री कैसे करें स्टॉपलॉस कहां लगाए और टारगेट कैसे लगाए
Entry:-
जब यह कैंडलेस्टिक पैटर्न सपोर्ट में बन जाता है तो इसके बाद बनने वाली तीन कैंडल्स में से जो भी दूसरी कैंडल के हाई को ब्रेक करती है वहां से हमें मार्केट में एंट्री लेनी होती है।
Stop Lose :-
इसमें स्टॉप लॉस लगाना काफी आसान है हमें दूसरी जो तेजी वाली कैंडल होती है उसके low से थोड़ा नीचे हमेशा स्टॉप लॉस लगाना चाहिए ।
Target:-
टारगेट की बात की जाए तो हमें हमेशा टारगेट रेजिस्टेंस को देखकर लगाने चाहिए या फिर हमारे STOPLOSE से दो या तीन गुना के टारगेट हमें लगाने चाहिए ।
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